Bharatnatyam

भरतनाट्यम चाहें चधिर अट्टम मुख्य रूप से दक्षिण भारत क शास्त्रीय नृत्य शैली ह। इ भरत मुनि की नाट्य शास्त्र (जवन की 400 ई.पू. क ह) पर आधारित बा। वर्तमान समय में ए नृत्य शैली क मुख्य रूप से औरत लोगन द्वारा अभ्यास कइल जाला। ए नृत्य शैली क प्रेरणास्त्रोत चिदंबरम की प्राचीन मंदिर की मूर्तियन से मिलेला।

भरतनाट्यम के सबसे प्राचीन नृत्य मानल जाला। ए नृत्य के तमिलनाडु में देवदासी विकसित व प्रसारित कइली स। शुरू शुरू में ए नृत्य को देवदासियन की द्वारा विकसित कइले की कारण उचित सम्मान नाहीं मिल पवलस। लेकिन बीसवीं सदी की शुरूआत में ई. कृष्ण अय्यर और रुकमणि देवी की प्रयास से ए नृत्य के दोबारा स्थापित कइल गइल। भरत नाट्यम के दुगो भाग होला, एके साधारणत: दू भाग में सम्पन्न कइल जाला, पहिला नृत्य और दूसरा अभिनय। नृत्य शरीर की अंगन से उत्पन्न होला एमें रस, भाव और काल्पनिक अभिव्यक्ति जरूरी ह।

भरतनाट्यम में शारीरिक प्रक्रिया के तीन भाग में बांटल जाला -: समभंग, अभंग, त्रिभंग भरत नाट्यम में नृत्य क्रम ए तरह से होला। आलारिपु - ए भाग में कविता(सोल्लू कुट्टू) रहेला। एकरीये छंद में आवृति होला।

जातीस्वरम - इ भाग कला ज्ञान क परिचय दिहले क होला एमें नर्तक आपन कला ज्ञान क परिचय देला लो। ए भाग में स्वर मालिका की साथ राग रूप प्रदर्शित होला जवन की उच्च कला क मांग करेला।

शब्दम - इ तीसरे नम्बर का भाग होला। सब अंश में इ भाग सबसे आकर्षक भाग होला। शब्दम में नाट्यभावन क वर्णन कइल जाला।एकरी खातिर बहुविचित्र तथा लावण्यमय नृत्य पेश कके नाट्यभाव क वर्णन कइल जाला।

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